आनंद तो अपना स्वरुप ही है। जैसे दूध में मक्खन रहता है पर दीखता नहीं। परन्तु दूध से दही बनकर, दही मंथन करने पर मक्खन दिख जाता है। ठीक इसी तरह मनुष्य को मन का मंथन करके आनंद को प्रकट करना है। दूध में जैसे मक्खन का अनुभव नहीं होता उसी प्रकार ईश्वर, जो सर्वत्र है उसका भी अनुभव नहीं होता।
नवधा भक्ति
नवधा भक्ति भक्तो को मोक्ष और भोग प्रदान करने वाली है। कलियुग में प्रायः ज्ञान और वैराग्य के कोई ग्राहक नहीं है जो की मोक्षकारक है। परन्तु भक्ति कलियुग तथा अन्य युगो में भी प्रत्यक्ष फल देने वाली है। तीनो लोको और चारों युगों में भक्ति के समान दूसरा कोई सुखदायक मार्ग नहीं है। मुनियों में सगुणा और निर्गुण भक्ति के नौ अंग बताये है। जो नवधा भक्ति के नाम से प्रसिद्ध है - श्रवण, कीर्तन, स्मरण, सेवन, दास्य, अर्चन, वंदन, सख्य और आत्मसमर्पण
रक्षाबंधन – कथा, विधि, महातम्य, मुहूर्त
पुराणों के अनुसार यदि घर का मुखिया या फिर वह व्यक्ति जो घर की सम्पन्नता के साथ-साथ परिवार के सभी सदस्यों के कुशल मंगल का ख्याल रखें उसे इस रक्षा सूत्र की आवश्यकता होती है। उसके अनुसार आज के ज़माने में भाई और पिता के साथ माताएं, घर की बेटी या फिर बहन सभी यह ज़िम्मेदारियाँ निभा रही है, तो उन्हें भी रक्षासूत्र की आवश्यकता है। इसीलिए इस रक्षाबंधन के त्यौहार में अब बदलाव आवश्यक है।
सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) 2020
21 जून को साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। जो कि आषाढ़ महीने की अमावस्या को रहेगा। यह ग्रहण रविवार को होने से और भी प्रभावी हो गया है। इस सूर्य ग्रहण के दौरान स्नान, दान और मंत्र जाप करना विशेष फलदायी रहेगा। The blog covers: ग्रहण और सूतक का समय ग्रहण का फल ध्यान रखने योग्य बातें जिन राशियों पर बुरा प्रभाव पड़ने वाला है उनके किये उपाय सूर्यग्रहण के प्रभाव